विकास कुमार बघेल छत्तीसगढ़ //
बैकुण्ठपुर दिनांक 25/10/24 – मांग के आधार पर अकुशल श्रम के लिए पहचान रखने वाले मनरेगा योजना में अब आजीविका से स्वरोजगार की ओर आगे बढ़ने की तैयारी तेजी से पूरी की जा रही है। कलेक्टर एवं जिला कार्यक्रम समन्वयक श्रीमती चंदन त्रिपाठी के निर्देशन में महात्मा गांधी नरेगा के प्रोजेक्ट उन्नति में नियमित प्रशिक्षण सत्र चलाए जा रहे है।। इसके अंतर्गत सैकड़ों मेहनतकश हाथों को अब हुनरमंद बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है। इससे ग्रामीणों के बीच अब कम से कम एक कार्य को अच्छी तरह से सीखने और फिर उससे स्वरोजगार के रूप में अपने साथ जोड़ने की ललक बढ़ी है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में निरंतर सौ दिन का कार्य करने वाले परिवारों में से युवाओं को लेकर उन्हे स्वरोजगार के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण के लिए चयनित युवा अलग-अलग विषयों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं और उन्हे उस स्वरोजगार से जुड़ी प्रत्येक बात विस्तार से प्रयोग के साथ समझाई जा रही हैं। महात्मा गांधी नरेगा योजना अब केवल मजदूरी के लिए बल्कि मजदूरी करने वालों के लिए स्वरोजगार के अवसर भी प्रदान करने के लिए जानी जा रही है।
प्रोजेक्ट उन्नति के कोरिया जिले में क्रियान्वयन के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ आशुतोष चतुर्वेदी ने बताया कि मनरेगा के तहत सौ दिन का अकुशल श्रम पूरा करने वाले परिवार के युवाओं को इसके लिए चयनित किया जाता है। श्रमिकों की सहमति व उसके इच्छा के अनुसार उसे पशुपालन, बकरी पालन, खेती, मशरूम उत्पादन, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, घरेलू उत्पाद निर्माण जैसे कुल 30 अलग अलग विषय हैं जिनमें स्वरोजगार के लिए युवा श्रमिकों को प्रशिक्षण प्रदान किए जा रहे हैं। कोरिया जिले में कलेक्टर कोरिया श्रीमती त्रिपाठी के निर्देशानुसार अब तक महिलाओं को अचार,पापड़, मसाले तैयार करने का प्रशिक्षण, युवाओं को बकरी पालन के प्रशिक्षण सत्र और उन्नत तरीके से खेती व सब्जी का उत्पादन करने के विषयों पर आरसेटी के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया है। इन चार विषयों पर अब तक लगभग दो सौ अकुशल श्रमिकों को ट्रेनिंग प्रदान की गई है। अगस्त माह से लेकर अब तक प्रशिक्षण के चार सत्र आयोजित किए जा चुके हैं और दस दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण के दौरान इन्हे नियमानुसार मानदेय, आवास और भोजन की भी व्यवस्थाएं प्रदान की जाती हैं। जैसे जैसे युवाओं को प्रशिक्षण प्राप्त हो रहा है वह स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ने के लिए सक्षम हो रहे हैं। उन्हे मुद्रा लोन से जोड़कर उनके स्वरोजगार करने की दिशा तय करने पर भी कार्य किया जा रहा है।