कार्यालय उप निदेशक राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर । ड0 भीमराव अम्बेडकर के जन्म दिवस के अवसर पर ‘‘डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर एवं उनका जीवन दर्शन‘‘ विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी से सम्बन्धित प्रेस नोट संग्रहालय के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के अन्तर्गत संविधान निर्माता, परमपूज्य भारतरत्न बोधिसत्व बाबा साहब डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर जी के जन्म दिवस के अवसर पर आज दिनांक 14 अप्रैल, 2024 को अपरान्ह 4.00 बजे से राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर में ‘‘डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर एवं उनका जीवन दर्शन‘‘ विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि पद्मश्री डा0 रामचेत चैधरी, अन्तर्राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष पी.आर.डी.एफ. के द्वारा किया गया। संग्रहालय की तरफ से मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया गया।
इस छायाचित्र प्रदर्शनी में बाबा साहब डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को दुर्लभ चित्रों एवं अभिलेखों के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया गया है और उनके सम्बन्ध में अनछुए पहलुओं को भी दिखाया गया है। प्रदर्शनी में उनके द्वारा सम्पादित समाचार-पत्रों जैसे बहिष्कृत भारत, मूक नायक की प्रतियों के साथ-साथ दुर्लभ छायाचित्रों एवं आन्दोलन में महिला कार्यकत्र्ताओं के साथ, संविधान निर्माण की प्रारूप समिति के साथ में डाॅ0 अम्बेडकर, नागपुर में 14 अक्टूबर, 1956 को अपने लाखों अनुयाइयों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा लेते हुए, संत गाडगे महाराज के साथ में, दिसम्बर, 1931 में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेते हुए, सेंट जेम्स पैलेस आदि अनेक घटनाक्रम को दुर्लभ चित्रों के माध्यम से दिखाया गया है।मुख्य अतिथि पद्मश्री डा0 रामचेत चैधरी, अन्तर्राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष पी.आर.डी.एफ. ने कहा कि बाबा साहब सिंबल आफ नालेज हैं।
उनको अनेक विभूषणों से अलंकृत किया जा सकता है। जैसे- नारी वर्ग के उद्धारक, सामाजिक एवं शैक्षिक क्रान्ति के अग्रदूत, युगदृष्टा एवं बीसवीं सदी के स्मृतिकार, उच्च कोटि के अर्थशास्त्री, महान विधिवेत्ता, शिक्षाविद, भारत के अब्राहम लिंकन, बौद्ध धर्म के उद्धारक, स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, विश्वभूषण, बोधिसत्व भारत रत्न बाबा साहेब डाॅक्टर भीमराव अम्बेडकर को शत-शत नमन है। आज का आधुनिक भारत बाबा साहब के प्रयासों का ही भारत है। डाॅ0 अम्बेडकर द्वारा शोषितों, वंचितो एवं महिलाओं की दशा सुधारने तथा उनकी उन्नति हेतु किये गये प्रयासों तथा कार्यो को कभी भुलाया नही जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि बाबा साहब का सम्पूर्ण जीवन संघर्ष राष्ट्र को समर्पित रहा है। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुलनीय योगदान रहा है।
उनका जीवन ही उनका दर्शन है। हम और हमारी युवा पीढ़ी उनके बताये रास्तों पर चलकर ही राष्ट्र की उन्नति में अपना योगदान दे सकते हैं। उक्त कार्यक्रम के अवसर पर एक कदम संग्रहालय ग्रंथालय समृद्धि की ओर कार्यक्रम के अन्तर्गत मुख्य अतिथि के द्वारा संग्रहालय के पुस्तकालय हेतु कुल 73 पुस्तकें दान स्वरूप में प्राप्त हुई। जिनमे से उनके द्वारा लिखित काला नमक धानः अतीत से वर्तमान, ज्ीम ठनकककीपेज ।तज व ि।दबपमदज त्ंाीपदम एवं जीम ठनकककीपेज ।तज व दबपमदज ।तंांद प्रमुख रही।संग्रहालय के उप निदेशक डाॅ0 यशवन्त सिंह राठौर ने प्रदर्शनी के सम्बन्ध में बताते हुए कहा कि बाबा साहेब का यह संदेश था कि शिक्षा ही समाज में समानता ला सकती है, जब मनुष्य शिक्षित हो जाता है, तब उसमें विवेक सोचने एवं तर्क करने की शक्ति पैदा हो जाती है और तब वह न तो खुद अत्याचार सहन कर सकता है और ना ही दूसरों पर अत्याचार होते देख सकता है। उनके तीन मंत्र शिक्षित बनों, संगठित रहो तथा संघर्ष करो से देश महान बन सकता है। अपने इसी संदेश की पूर्ति हेतु शिक्षा के लिए भी उन्होंने संविधान में विशेष प्राविधान किये। डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर मानवता, समानता, समरसता आदि भावनाओं के प्रखर सम्पादक थे और संविधान में इन सभी तथ्यों की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। डाॅ0 अम्बेडकर ने संविधान में अछूतोद्धार एवं सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक विषमता को समाप्त करने के लिए हर संभव प्रयास किये और सफल भी रहे। आजादी की लड़ाई में दो धारा थी। एक धारा देश को केवल राजनैतिक गुलामी से मुक्ति दिलाना चाहता था, दूसरी धारा जिसका नेतृत्व डाॅ0 बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर कर रहे थे, उनका विचार था कि केवल राजनीतिक गुलामी की मुक्ति से राष्ट्र निर्माण नहीं होगा, बल्कि सामाजिक दासता से भी मुक्ति मिलना आवश्यक है। यही कारण है कि उनके द्वारा बनाया गया संविधान आगे बढ़ने में प्रेरणा स्रोत बना हुआ है और जिसके कारण भारतीय जनसामान्य में आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक आदि स्तर में निरन्तर बदलाव आया है। उक्त अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा डाॅ0 शोभित श्रीवास्तव के माध्यम से प्रदत्त पौधा डेªसेना को संग्रहालय उद्यान में रोपित किया गया।कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर श्री बी0सी0 मिश्रा, प्रदीप कुमार गौतम, डाॅ0 जितेन्द्र कुमार, श्रीमती नीलम त्रिपाठी, श्रीमती अर्चना राय, श्रीमती इन्दुलता द्विवेदी, श्री देवन्द्र देव शुक्ला, विजय शंकर विश्वकर्मा एवं रामदरश शर्मा आदि सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अन्त में संग्रहालय के उप निदेशक, डाॅ0 यशवन्त सिंह राठौर ने सभी अतिथियों को उक्त कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर संग्रहालय पधारने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
परमानंद दुबे मंडल ब्यूरो चीफ गोरखपुर