माँग पत्रबार एसोसिएशन चौरी चौरा, गोरखपुर द्वारा विगत 10.07.2024 से उपजिलाधिकारी, चौरीचौरा के प्रशासनिक अक्षमता एवं न्यायिक कार्य में वैधानिक प्रक्रिया के पालन में असफलता के कारण न्यायिक बहिष्कार चल रहा है। बार एसोसिएशन के साथ उप जिलाधिकारी चौरी चौरा द्वारा संवाद दिवस के माध्यम से निस्तारण हेतु पत्र पर सदन को सुनागया। बहुमत के आधार पर निर्णय लिया गया कि उप जिलाधिकारी चौरी चौरा का न्यायिक कार्य में मनमानी पूर्ण निर्णय स्वीकार योग्य नहीहै तथा प्रशासनिक कार्य पूर्णतया लचर है। बार एसोसिएशन चौरी चौरा उप जिलाधिकारी चौरीचौरा के स्थानान्तरण हेतु आन्दोलित है।तहसील अधिवक्ता संघ चौरीचौरा में अधिवक्ता निम्न समस्याओं केतरफ ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास करता है।बार एसोसिएशन1- यह कि उप जिलाधिकारी चौरी चौरा व चौरी चौरा तहसील में व्याप्त समस्या पर संवाद दिवस के माध्यमसे निस्तारण का प्रयास किया। सम्बाद दिवस में चर्चा होने परभी कोई सुधार नही है। महोदय के विभाजन आदेश में हल्का लेखपाल मनमानी धन फॉट बनाने में ले रहे है। संम्वाद के बावजूद भ्रष्टचार में कोई सुधार नही है।2-यह कि उप जिलाधिकारी चौरीचौरा के न्यायालय में सीमांकनधारा 24 (1) राजस्व संहिता 2006 तीन माह में निस्तारण काप्राविधान है। आदेश व पैमाईश शुल्क जमा होने के बावजदराजस्व निरीक्षक 10000/- रूपये से कम पर सीमांकन नहीकरते है। पुनः रिपोर्ट में वसूली बादहू फाईनल पैमाईश में वहीं धनराशि देय होती है। राजस्व निरीक्षक के शोषण से सीमांकन दावा करने से काश्तकार कतराते है, जिससे राज्य सरकार की क्षति हो रही है। राजस्व निरीक्षक पर उप जिलाधिकार प्रशान्तवर्मा के आदेश का कोई प्रभाव नही है तथा प्रशासनिक अंकुश नही के बराबर है । 3- यह कि बार एसोसिएशन चौरी चौरा की बैठक में यह विन्दू प्रकाश में लायी गयी है कि नामिका अधिवक्ता श्री जगदीश मौर्यगॉवसभा वादो की पैरवी हेतु नियुक्त है। परन्तु 122बी के मुकदमों में पैरवी नही है। जगदीश मौर्य डी.जी.सी. रैवेन्यु नही है।
श्री प्रशान्त वर्मा के विधिक सलाहकार बन गये है तथा उन्हीके निर्देश पर पत्रावली निर्णित होती है। इससे सदन में घोर असंतोष है। इस विन्दु पर अंकुश लगना आवश्यक है।4.यह कि बार एसोसएिशन के द्वारा न्यायिक बहिष्कार दौरान श्रीप्रशान्त वर्मा जी अदालत में लम्बित वाद अदम पैरवी में खारिजकर निस्तारण कर रहे है । परन्तु बहस होने पर कई माह तकलम्बित रहती है या पुनः तारीख लगा दी जाती है। ऐसा क्योकिया जाता है। इस विन्दु का जबादेही उप जिलाधिकारीमहोदय की बनती है ।5.यह कि अति महत्वपूर्ण विन्दू जो विभागीय गलती से काश्तकारोका नाम छूट जाता है। बल्दियत गलत हो जात है। बैनामा केकम्प्लायंस में गलती हो जाती है। काश्तकार 32/38 दुरूस्ती दावा करता है। उसके निस्तारण में घोर लापरवाही है।काश्तकार दौड़ते-दौड़ते थक हार जाते है । पत्रावली सुनवाई नही होती है। सौतेला ब्यवहार किया जाता है। गलती विभागीयहोती है। रिपोर्ट में मनमानी पूर्ण वसूली की जाती है । परन्तुनिर्णय शून्य है। इसी प्रकार धारा 80 राजस्व संहिता के मुकदमें में शुल्क जमा लेकर खारिज कर दी जाती है। 6.यह कि तहसील स्तर पर प्रशासनिक अंकुश की कमी, जिससे अधिनस्थ कर्मचारी मनमानी पूर्ण कार्यवाही व जनता का शोषण करने पर प्रतिबन्ध नही है। अधिवक्ता संघ विगत 14 माह से समाधान कराने में असफल रहा है। क्षुब्ध होकर श्री प्रशान्त वर्मा उप जिलाधिकारी चौरी चौरा के स्थानान्तरण हेतु आन्दोलित है। 7-यह कि संज्ञान में लायी गयी है कि नायब तहसीलदार राजधानी विगत 1 माह में निर्विवाद नामांतरण आदेश शुन्य है तथा उनके सलाहकार जगदीश मौर्य एडवोकेट बने है। जबकि नायब तहसीलदार के समक्ष ग्राम सभा आवश्यक पक्षकार नही होता है । नामिका अधिवक्ता के कार्य व्यवहार से अधिवक्ता असंतुष्ट है । प्रतिबन्ध आवश्यक है । अतः माँग पत्र पर तत्काल विचार कर श्री प्रशान्त वर्मा उप जिलाधिकारी चौरी चौरा को स्थानान्तरित करते हुए अन्य मांगो का त्वरित निस्तारण किया जाना आवश्यक है ।
परमानंद दुबे मंडल ब्यूरो चीफ गोरखपुर