
गाजीपुर। शहरी एवम् ग्रामीण अंचलों में बिजली विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार की घटनाएं अब जनता के सामने आ रही हैं। यहाँ की स्ट्रीट लाइट्स दिन में भी जलती रहती हैं, जो न केवल बिजली की भारी बर्बादी का कारण बनता है, बल्कि विभाग की कार्यशैली और अधिकारियों की नाकामी पर भी सवाल उठाता है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब इस बर्बादी को रोकने के लिए विजिलेंस टीम द्वारा छापेमारी दिन, दोपहर में होना चाहिए लेकिन कभी नहीं की जाती है, लोगों का कहना है कि बिजलेंस टीम भोर में लोगों को परेशान करती हैं।
हर दिन गाजीपुर के विभिन्न इलाकों में स्ट्रीट लाइट्स दिन में जलते हुए देखे जाते हैं। ये लाइट्स कौन जिम्मेदार अधिकारी जलावा कर मजा लेता है, क्या उनको पता नही चल पाता है, बल्कि आम जनता को ये बिजली विभाग के अधिकारी एवम् कर्मचारी बेफजूल में गलत सलत बिल भेजते हैं, मीटर रिस्टोर के नाम पर एवम् अन्य कारण दिखा कर धन उगाही करवाते हैं, लोगों का मानना है कि यह एक नियमित समस्या बन चुकी है। जनहित में विभाग को नहीं दिखती ये दिन में जलने वाली लाइट्स और इनका भुगतान कौन और कैसे होता है, इसका जवाब कौन देगा। बिजली विभाग इसे अपने कर्तव्यों का हिस्सा मानते हुए इनकी (दिन में जलने वाली लाइट्स) आवश्यकता अनुसार संचालन करे, और जनहित में बिजली बचाए। लेकिन यह स्थिति तब गंभीर हो जाती है जब अधिकारियों की ओर से इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
किसी भी प्रकार की छापेमारी या जांच के लिए अधिकारियों और विजिलेंस टीम का न होना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या इस विभाग में इतना भ्रष्टाचार फैल चुका है कि किसी को भी इस पर ध्यान देने की जरूरत नहीं महसूस होती? जेई (जूनियर इंजीनियर), एसडीओ (सब डिवीजनल ऑफिसर) और अन्य उच्च अधिकारी इस स्थिति को नजरअंदाज कर रहे हैं। बिजली विभाग के अधिकारियों के सामने ये समस्याएं समाजसेवियो द्वारा उठाई जाती हैं, लेकिन विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते।
विभागीय अधिकारियों का यह असंवेदनशील रवैया स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उनकी प्राथमिकता विभागीय कार्यों को सही से करना नहीं है। इसके बजाय, उन्हें अपनी जिम्मेदारियों से बचने में अधिक रुचि है और मजा आता हैं। यह भ्रष्टाचार और लापरवाही का उदाहरण है, या हो सकता हैं। जिसके कारण गाजीपुर जैसे छोटे जनपद में आम नागरिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इन अधिकारियों का भ्रष्टाचार और लापरवाही जनता के पैसे की बर्बादी का कारण बन रही है।
यह भी स्पष्ट है कि विभागीय अधिकारियों की ओर से कोई सही जवाबदेही नहीं है। अगर कोई शिकायत करता भी है, तो उसे टारगेट किया जाता है। स्ट्रीट लाइट्स की मरम्मत और संचालन में गंभीरता से काम करने के बजाय, यह विभाग केवल मौजूदा समस्याओं को नजरअंदाज करता है। अगर इन अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाती, तो यह समस्या पहले ही समाप्त हो सकती थी।
इसके अलावा, अगर संबंधित जांच टीम सक्रिय रूप से छापेमारी करती, तो इन अधिकारियों का मनोबल टूट सकता था, और वे अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभाने के लिए मजबूर हो सकते थे। लेकिन ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाता, जो यह दर्शाता है कि विभाग में न केवल भ्रष्टाचार व्याप्त है, बल्कि यह भी कि इसे सुलझाने के लिए कोई ठोस कार्य योजना नहीं बनाई जा रही।
गाजीपुर के नागरिक अब सवाल उठाते हैं कि क्या कोई सुधार होने की उम्मीद है? क्या विभागीय अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी, या यह लापरवाही और भ्रष्टाचार का खेल इसी तरह चलता रहेगा? अगर जांच टीम समय पर छापेमारी करेंगी और ठोस कदम उठाएगी, तो शायद ये समस्याएं जल्दी ही हल हो सकती हैं। लेकिन फिलहाल, गाजीपुर के लोग केवल इन अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार का शिकार हो रहे हैं।
इन सब बातों से यह स्पष्ट है कि गाजीपुर में बिजली विभाग की कार्यशैली और अधिकारियों का भ्रष्टाचार गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। इसके खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई होना चाहिए ताकि जनता को लोकप्रिय योगी सरकार में राहत मिल सके और इस बर्बादी को रोका जा सके।
नेयाज अहमद उप संपादक