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अधिवक्ताओं ने एसडीएम के खिलाफ तहसीलदार को दिया ज्ञापन

By admin Sep 6, 2024

गोरखपुर। तहसील चौरी चौरा में बार एसोसिएशन चौरी चौरा गोरखपुर द्वारा विगत 10 अगस्त से उप जिला अधिकारी चौरी चौरा के प्रशासनिक और क्षमता एवं न्यायिक कार्य में वैधानिक प्रक्रिया के पालन में असफलता के कारण न्यायिक बहिष्कार चल रहा है। बर एसोसिएशन के साथ उप जिलाधिकारी चौरी चौरा द्वारा संवाद दिवस के माध्यम से निस्तारण हेतु पत्र पर सदन को सुना गया, बहुमत के आधार पर निर्णय लिया गया कि यूपी जिला अधिकारी चौरी चौरा का न्यायिक कार्य में मनमानी पूर्ण निर्णय स्वीकार योग्य नहीं है तथा प्रशासनिक कार्य पूर्ण हत्या लेसर है। उप जिलाधिकारी चौरी चौरा के स्थानांतरण हेतु आंदोलन कर रहे हैं तहसील अधिवक्ता संघ चौरी चौरा में अधिवक्ता निम्न समस्याओं की तरफ ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास करता है। यूपी जिला अधिकारी चोरी चोरा हुआ रे शिव सेंचुरी चौड़ा तहसील में व्याप्त समस्या पर संवाद दिवस के माध्यम से निस्तारण का प्रयास किया संवाद दिवस में चर्चा होने पर भी कोई सुधार नहीं हुआ। विभाजन आदेश में हल्का लेखपाल मनमानी धन भारत बनाने में ले रहे हैं संवाद के बावजूद भ्रष्टाचार में कोई सुधार नहीं है। यूपी जिला अधिकारी चोरी चोरा के न्यायालय में सीमांकन धारा 24, 1, राजस्व संहिता, 2006 3 माह में निस्तारण का प्रावधान है आदेश व पैमाइश शुल्क जमा होने के बावजूद भी राजस्व निरीक्षक ₹10000 से कम पर सीमांकन नहीं करते। पुनर रिपोर्ट में वसूली बधू फाइनल पैमाइश में बड़ी धनराज दे होती है राजस्व निरीक्षक के शोषण से सीमांकन दावा करने से काश्तकार कतराते हैं जिससे राज्य सरकार की क्षति हो रही है राजस्व निरीक्षक पर यूपी जिला अधिकारी प्रसाद प्रशांत वर्मा के आदेश का कोई प्रभाव नहीं है तथा प्रशासनिक अंकुश 9 के बराबर है। संगठन चोरी चोरा की बैठक में यह बिंदु प्रकाश में लाई गई श्री जगदीश मोर गांव सभा बड़ों की पर भी है नियुक्त है 122 बी के मुकदमे में नहीं है जगदीश मौर्य गांव सभा बड़ों की पर भी एक नियुक्त हैं है प्रशांत वर्मा के विधिक सलाहकार बन गए हैं तथा उन्हें के निर्देश पर पत्रावली निर्धारित होती है इससे सदन में घोर असंतोष व्याप्त है। बर एसोसिएशन के द्वारा न्यायिक बहिष्कार दौरान प्रशांत वर्मा अदालत में लंबितवाद खारिज कर निस्तारण कर रहे हैं परंतु बस होने पर कई माह तक लंबित रहती है या पुणे तारीख लगा दी जाती है ऐसा क्यों किया जाता है प्रश्नवाचक चिन्ह लगा हुआ है। हाथी महत्वपूर्ण बिंदु जो विभागीय गलती से कष्ट करो का नाम छूट जाता है बालदियत गलत हो जाता है बैनामा के कंप्लायंस में गलती हो जाती है काश्तकार 32 ऑब्लिक 38 दृष्टि दावा करता है उसके निस्तारण में घोर लापरवाही हैकाश्तकार दौड़ते दौड़ते थक हार जाते हैं पत्रावली सुनवाई नहीं होती सौतेला व्यवहार किया जाता है गलती विभागीय होती है रिपोर्ट में मनमानी पूर्ण वसूली की जाती है परंतु निर्णय शून्य है इसी प्रकार धारा 80 राजस्व संहिता के मुकदमे में शुल्क जमा लेकर खारिज कर दी जाती है। तहसील स्तर पर प्रशासनिक अंकुश की कमी जिससे अधीनस्थ कर्मचारी मनमानी पूर्ण कार्यवाही व जनता का शोषण करने पर प्रतिबंध नहीं है अधिवक्ता संघ विजय 14 माह से समाधान करने में असफल रहा है परेशान होकर प्रशांत वर्मा जिलाधिकारी चौरी चौरा के स्थानांतरण हेतु आंदोलन है। संज्ञान में लाई गई है कि नायब तहसीलदार राजधानी एक माह में निवि बाद नामांतरण आदेश शून्य है तथा उनके सलाहकार जगदीश मोर एडवोकेट बने हैं जबकि नायक तहसीलदार के समझ ग्राम सभा आवश्यक पक्षकार नहीं होता नामिका अधिवक्ता के कार्य व्यवहार से अधिवक्ता असंतुष्ट है इस पर प्रतिबंध लगाना नितांत आवश्यक है। आज दिनांक 6 सितंबर को तहसीलदार संगठन चोरी चोरा की एक आपात बैठक अध्यक्ष श्री राम प्यारे यादव की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में कासगंज की जीवा अधिवक्ता श्रीमती मोहनी कुमार की अपहरण एवं हत्या के संबंध में चर्चा किया गया तथा सर्वसम्मा से उक्त घटना की निंदा किया गया तथा 2 मिनट मौन रहकर ईश्वर से प्रार्थना किया की मृत्यु अधिवक्ता के पारिवारिक जान को दुख सहन करने की शक्ति शांति प्रदान करें साथ ही बैठक में सर्व समस्या निर्णय लिया गया कि कासगंज के अधिवक्ता मोहिनी तोमर की अपहरण कर हत्या करने के आरोपियों को गिरफ्तार करके दनदनात्मक कार्यवाही सुनिश्चित किया जाए मृत्यु अधिवक्ता के परिजनों को एकं करोड़ बताओ और आर्थिक सहायता सहायता दिया जाए प्रदेश में अधिवक्ताओं के साथ घटित हो रहे अपराधों को दृष्टिगत रखते हुए अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट अभिलंब लागू किया जाए उक्त मांगों पर प्रभावित कार्यवाही कर कर प्रदेश में अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की व्यवस्था होना नितांत आवश्यक है ताकि अधिवक्ताओं को भी न्याय मिल सके इसके संदर्भ में तहसीलदार चोरी चोरा को एक ज्ञापन मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ को दे दी गई है।

परमानंद दुबे मंडल ब्यूरो चीफ गोरखपुर

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