विकाश कुमार बघेल
जिला एमसीबी दुबछोला // जनजाति गौरव समाज खड़गवां दुबछोला चौक के समीप एक कार्यक्रम आयोजित किया गया है जिसमे मुख्य अतिथि श्याम बिहारी जयसवाल ( स्वास्थ्य मंत्री छत्तीसगढ़ ) एवं चंपा देवी पावले (पूर्व विधायक) पवन सिंह नेटी(अध्यक्ष-जनजाति गौरव समाज ब्लॉक खड़गवां जिला एम सी बी) संरक्षक शिवशंकर सिंह मरकाम (जनजाति गौरव समाज ब्लॉक खड़गवां जिला एम सी बी) विशिष्ट अतिथि रेणुका सिंह (जिला पंचायत अध्यक्ष कोरिया ) संतोष कुमार सिंह (जिला अध्यक्ष-जनजाति गौरव समाज जिला एम सी बी) सोनमती कुर्रे (अध्यक्ष-जनपद पंचायत खड़गवां) रामकुंवर सिंह (सरपंच-ग्राम पंचायत दुबछोला) तथा समस्त ग्रामवासी इस रंगा रंग कार्यक्रम मे आये हुए थे. तथा चिरमिरी के चित्ता झोर पोड़ी वार्ड क्र. 01 के पार्सद संतोष सिंह ने जनजाति के प्राचीन और पारम्परिक व्यवसाय के बारे अध्यन कराया जिसमे छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध है। छत्तीसगढ़ में विभिन्न लोकनृत्य जैसे पंथी, सुआ, राउत नाच आदि प्रचलित है। साथ ही आदिवासी समुदायों के बीच करमा, गौर, सरहुल आदि लोकनृत्य प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ ऐतिहासिक,पुरातात्विक एवं पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध है। मुख्य अतिथि मान.श्री श्याम बिहारी जी के द्वारा बताया गया दिनांक 05/10/24 को रानी दुर्गावती का जन्म जयंती गानो और बाजो से धूमधाम से सभी जनजातिओं को नमन किया गया। 5 अक्टूबर, 1524 को उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में रानी दुर्गावती का जन्म हुआ था. उनका जन्म दुर्गा अष्टमी के दिन हुआ था, इसलिए उनका नाम दुर्गावती रखा गया. रानी दुर्गावती की कहानी इस प्रकार है रानी दुर्गावती का विवाह गोंड राजा संग्राम शाह के बेटे दलपत शाह से हुआ था. रानी दुर्गावती ने अपने पति की मृत्यु के बाद गोंडवाना राज्य पर शासन किया।
रानी दुर्गावती ने मुगल साम्राज्य के ख़िलाफ़ गोंडवाना की रक्षा की. रानी दुर्गावती को बचपन से ही घुड़सवारी, तलवारबाज़ी, और तीरंदाज़ी जैसी युद्ध कलाओं का हुनर था. रानी दुर्गावती ने 52 युद्धों में से 51 युद्धों में जीत हासिल की थी।
रानी दुर्गावती ने अपने पूर्वजों के वंश की तरह अपने राज्य में कई झीलें बनवाईं. रानी दुर्गावती ने विद्वानों का सम्मान किया और उन्हें अपना संरक्षण दिया। रानी दुर्गावती ने 24 जून, 1564 को वीरगति पाई।